हिन्दी कविता - होली में
नहीं मिलते, जिन्हें हम खोजते फिरते हैं, होली में,
हमारा दिल चुरा कर रख लिया है अपनी चोली में,
नहीं परवाह उन को है क हम पर क्या गुजरती है,
इसे वे बेरहम हंस कर उड़ा देते ठिठोली में,
खबर उन को नहीं शायद कि हम शैतान हैं ऐसे,
किसी दिन बैंड बजवा कर उठा लाएंगे डोली में ।
- डा. रुक्म त्रिपाठी
A Hindi Poem Hindi Kavita Hindi Hasya Kavita Holi Hasya By Dr Rukma Tripathi
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Wednesday, October 21, 2009
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